गुणवत्तापूर्वक शिक्षा, बच्चों एवं युवाओं मे जागरूकता - एक जीवन पर्यंत मुहिम

 दुनिया मे हर समाज में व्याप्त, सारी समस्याओं का समाधान, एक ही रास्ते से हो सकता है और वो रास्ता है शिक्षा। लेकिन शिक्षा कैसी हो? यदि शिक्षा गुणवत्ता पूर्वक नहीं हो तो शिक्षा का कोई मतलब नहीं है। यदि गुणवत्तापूर्वक शिक्षा दी जाए, युवाओं को, बच्चों को, तो आत्मनिर्भर बनते हैं, अपने पैरों में खड़ा होते हैं। वो खुद अपना रास्ता तैयार कर लेते हैं। और इसीलिए मुझे लगता है कि गुणवत्तापूर्वक शिक्षा के लिए निरंतर काम करना चाहिए। हर किसी को अपना जितना संभव हो सके योगदान देना चाहिए।

कैसे करें?

सबसे बड़ा सवाल है, कैसे करें? यदि आप बात करना चाहेंगे की शिक्षा के स्तर को सुधारना चाहिए। शिक्षा की गुणवत्ता के लिए हमें काम करने की जरूरत है। बहुत से लोग और बहुत से संस्थाएँ, जो शिक्षा के कार्य में लगे हुए हैं, उन्हें ये पसंद नहीं आएगा। लेकिन शिक्षा मे लगे हम सभी लोगों का एक ही दायित्व होता है की अच्छे समाज का निर्माण करें। अच्छे समाज मे अच्छे मानवीय मूल्यों के साथ युवाओं को तैयार करें। ताकि वो अपने पैरों पे खड़ा होकर, आगे समाज और राष्ट्र के लिए सेवा कर सकें। ऐसा करने के लिए यदि हमारा उद्देश्य हो, तो हम जरूर इस बात को स्वीकार करेंगे यदि हमें गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है। यदि मुझे अपने आप में सुधार की जरूरत है तो मैं इसके लिए सदैव तत्पर रहूंगा। और इसीलिए जो भी उत्साही जिनमें काफी ऊर्जा हो, उनको साथ मे आना पड़ेगा, एक मंच पर आना पड़ेगा। आज कल तो वर्चुअली सब लोग मिल जाते हैं। तो ऐसे लोगों को आकर के तय करना पड़ेगा कि हम शिक्षा की गुणवत्ता को कैसे बढ़ाएं? जो हमारे पास उपलब्ध संसाधन है उसी से। क्योंकि आज तो पूरी दुनिया मुट्ठी में है हमारी। टेक्नोलॉजी ने ऐसा समय ला दिया है कि मोबाइल मे हमारी पूरी दुनिया सीमित है। चाहे वो एमआईटी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी हो या कोई भी हो सभी के शिक्षा के संसाधन है वो भी उपलब्ध है। तो हम कैसे गुणवत्ता को हमारे वर्तमान संसाधन के साथ ही अच्छा से अच्छा बना सके इसके लिए हमें कुछ लोगों को साथ मे आना पड़ेगा और तय करना पड़ेगा। रास्ता क्या है?  इसे हम कैसे कर सकते?

कुछ (ऑब्जेक्टिव्स) उद्देश्य:

§  वर्तमान में हमारी जो शिक्षा है, शिक्षण संस्थाएँ हैं छत्तीसगढ़ मे, उसमें कौन कौन सी चुनौतियां हैं? उसकी पहचान कर, पहचानने के बाद उनका वर्गीकरण करना।

§  वर्गीकरण करने के बाद, हर एक अलग अलग  चुनौती पूरक विषयों मे  देश विदेश में व्याप्त संसाधनों को चिन्हित करना।

§  छत्तीसगढ़ के लोग जो शिक्षण कार्य मे देश विदेश के। उच्चतम संस्थाओं में कार्य कर रहे हैं उनकी पहचान करना।

§  उनको इस मुहिम से जोड़ना एवं उनको सहयोग के लिए निवेदन करना।

§  उनके सुझावों को ध्यान से सुनना, अनुसरण करना और उसके अनुसार। शिक्षण मे सुधार करना और गुणवत्ता को प्राप्त करना।

§  सबसे महत्वपूर्ण, छत्तीसगढ़ मे जितने बच्चे हैं, खासकर गरीब और प्रतिभावान बच्चे, उनको वर्चुअली जोड़ना और सप्ताह मे कम से कम एक बार उनका मार्गदर्शन करना, उनको प्रोत्साहन करना। उनको ऊर्जा से भरना। ताकि वो एक बड़ा से बड़ा सपना देख सके और उस सपने को साकार करने के लिए लग जाए I बहुत आसान है ये काम। बस हमें इसको एक मुहिम बनाकर के लोगों को मोटिवेट करना पड़ेगा और इससे यह कार्य आसानी से संभव हो सकेगा।

मैं वालंटियर करने के लिए तैयार हूँ क्या आप ैयार हैं?

मेरा नाम प्रोफेसर गणेश राम सिन्हा है। छत्तीसगढ़ के ही महासमुंद जिले के पिथौरा के पास भिथीडीह गांव का रहने वाला हूँ। मैं गांव और पिथौरा मे पढ़ाई लिखाई करके एनआईटी रायपुर से बीटेक, एमटेक करने के बाद फिर पीएचडी करने के बाद, छत्तीसगढ़ मे काफी समय तक अपनी सेवाएं दिया। उसके बाद वर्तमान मे, मैं ट्रिपल आईटी बैंगलोर में एडजंक्ट प्रोफेसर के रूप मे काम करता हूँ। मैं जो कुछ भी अपने जीवन में हूँ या जो कुछ भी मुझे मिला है, उसका श्रेय मेरे शिक्षकों को, मेरे माता पिता के आशीर्वाद को, मेरे परिवार के सहयोग को और सबसे बड़े मेरे गुरु विवेकानंद स्वामी विवेकानंद को जाता है। और इसीलिए मुझे लगता है कि हमें मुहिम बना करके छत्तीसगढ़ के बच्चों को प्रेरित करने के लिए कुछ करना चाहिए और खासकर गुणवत्तापूर्वक शिक्षा के लिए जो संस्थाएँ हैं, जो हमारे मित्र हैं जो शिक्षण संस्थानों में काम कर रहे हैं। उनको थोड़ा मोटीवेट करे और उनका सहयोग कर एक गुणवत्तापूर्वक शिक्षा का छत्तीसगढ़ मे माहौल बनाएं ताकि छत्तीसगढ़ के जो गरीब प्रतिभावान गांव के जो बच्चे है उनको कही प्रदेश के बाहर जो वर्तमान मे नहीं जा पाते उन्हें जाने की जरूरत नहीं पड़ना चाहिए और गुणवत्तापूर्वक शिक्षा उनको वहीं मिल जाए ताकि देश विदेश में पर्याप्त जितनी भी उनको जो अपॉर्चुनिटी है, उनको छत्तीसगढ़ से ही मिल जाए। तो मेरा ये उद्देश्य है की मैं भी कुछ ऊर्जावान लोगों के साथ जुड़ करके छत्तीसगढ़ के बच्चों के लिए, छत्तीसगढ़ के प्रतिभावान बच्चों के लिए, गरीब बच्चों के लिए, शिक्षा के क्षेत्र में उनको अपॉर्च्यूनिटीज बताने के लिए, उनको जागरूक करने के लिए कुछ अपनी सेवाएं दे सकूँ। मैं अपना नाम वालंटियर करता हूँ। इस कार्य के लिए मुझे उम्मीद है कि मेरे जैसे जो ऊर्जावान, उत्साही जो मेरे मित्र होंगे वो आगे बढ़ करके आएँगे और इसमें सहयोग करेंगे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मे इस के सरल रास्ता बताए गए हैं ।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मे कैसे सभी लोगों को, गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा, जिसमें शोध कार्य करने का भी उनको प्रेरणा मिले, एक होलिस्टिक डेवलपमेंट का अप्रोच हो, यूनाइटेड नेशन्स का सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल भी अचीव हो। इन सारी बातों को कैसे अचीव किया जा सके। बहुत ही आसान तरीके से बताया गया। तो जब हम गुणवत्तापूर्वक शिक्षा और जागरूकता के लिए काम करेंगे, खासकर छत्तीसगढ़ के युवाओं और बच्चों के लिए, तो इस पर भी हमें चर्चा करना पड़ेगा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति मे कैसे वो रास्ते हैं जिनका उपयोग करके हमारे छत्तीसगढ़ के जो बच्चे और  युवा हैं वो कैसे आगे बढ़ सकें?

 

 

 

 

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